Monday, 25 September 2017

देखा है

..हक़ीकत और उनकी तक़रीर में तक़रार होते देखा है..
..गरीब का घर मिट्टी और उनका गुलज़ार होते देखा है..
..किस किस से लड़ेंगे मोहब्बत की जंग..
..अपने आशिक को ही हमने बेज़ार होते देखा है..
..टूटी कसमें हरदम साथ-ओ-तरक़्क़ी की..
..हमनें उन्हें नेताओं में शुमार होते देखा है..
..किस पर करें शक़ और किस पर यक़ीन..
..पुलिया वाली ईंटों को दीवार होते देखा है..
..खुद टूट कर वो गढ़ता है दर्दनामा..
..एक शायर को तहरीर का किरदार होते देखा है..
..सच बोले तो "बेशर्म" हो जाता है आदमी..
..अक्सर झूठों को ही ‘अंशु’ इज़्ज़तदार होते देखा है..

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