Sunday 20 November 2016

अधूरापन

जो भी पाया अधूरा ही पाया,
चाहे दोस्ती, प्यार या रिश्ते |
भर लेता है पेट पानी से, भूख से व्याकुल भिखारी
पर भीख में मिले थोड़े चावल खाकर
उसकी भूख बढ़ जाती है |
कमी जिलाती है,
अधूरापन पूरेपन की प्यास बढ़ाता है ||

29 May 2015. 

Friday 11 November 2016

लाल बत्ती

तेज़ी से गाड़ी को भगाता,
ट्रैफिक की मार को झेलता,
लेट होता आई. टी. का एक नवयुवक
सिग्नल तक पहूँचता ही है कि बत्ती लाल
गुस्से से वो उसको घूरता
बत्ती भी गुस्से से और लाल हो जाती है
वो दुआ करता है ये जल्दी से हरी भरी हो
वो ऑफिस पहूँचे
और आइसक्रीम खिलाने की सज़ा से बाइज़्ज़त बरी हो

और इधर
बत्ती के लाल होते ही
आता है वो बच्चा
जो कल तक
रोकर,
पेट पर हाथ मलकर,
चंद पैसों की भीख मांग रहा था
किसी ने कहा था हाथ पैर सलामत है अच्छा काम कर ले
और आज वो बेच रहा है
ज़रुरत से अधिक लंबे पेन
न, बेचता नहीं
इन कलमों को खरीदने की भीख मांगता है
अब भी
रोकर,
पेट पर हाथ मलकर ,

भूख, आसानी से, पैरों पर, खड़ा नहीं होने देती

कहीं से आ जाते है
मर्द की काया और औरत के हाव भाव वाले
हिजड़े,
तालियां पीट कर
सुना था बचपन में
कि उनके पास है ऐसी ताक़त
जो वो कहें सच हो जाए
इसलिए चंद रूपये देकर दुआ लेना भला है
फिर ये भी सुना कि इनके दिमाग में कोई लोचा है
मर्द हैं पर खुद को औरत मानते है
दिमागी तौर से छोटे लोग ही इन्हें दिमागी तौर से कमज़ोर समझते है
जब नहीं मिलता इन्हें अपनी क़ाबिलियत का काम
तो बचते हैं दो ही रास्ते
या तो अपनी देह बेचे और साथ में इज़्ज़त
या किसी को ठाठ से चिकना कहकर दस रूपये ले जाए

कभी डराकर
तो कभी किसी के मज़ाक का पात्र बनकर
भरतें हैं वो पेट

भूख, आसानी से, पैरों पर, खड़ा नहीं होने देती

सच कहता है वो महाराष्ट्र से काम की तलाश में आया हुआ आदमी
जिसे काम के बहाने लाया गया
और छोड़ दिया गया बीच में
न घर का न घाट का
कुत्ता
धोबी का
कुत्ते के बच्चों सी शक़्ल बनाये पीछे खड़ी है जोरू
गोद में लिए नन्हें बच्चे को
वो पूछता है हिंदी या मराठी में बात करोगे
और मांगता है वापसी के टिकट के पैसे
किसी स्पैम के चलते कोई यक़ीन नहीं करता उसपर

आजकल
हर कोई
विस्थापित है घर से
और वापसी का टिकट ढूंढता है पराई गलियों में

चलो बत्ती हरी हो गयी
चलते है अपने अपने रास्ते